Used Car Buying Tips: सेकंड हैंड कार खरीदने की सोच रहे हैं? जानिए कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखें ताकि आपको मिले बढ़िया डील और बिना झंझट वाली कार।
आजकल सेकंड हैंड कार खरीदना काफी अच्छा विकल्प बन गया है, क्योंकि नई कारों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। अगर आपका बजट लिमिटेड है, तो Used Car से आपको बेहतरीन सुविधा कम पैसों में मिल सकती है। लेकिन सेकंड हैंड कार खरीदने में कई बातें ध्यान रखना जरूरी होता है, ताकि बाद में कोई पछतावा न हो। इस गाइड में जानिए वो जरूरी बातें जो खरीदारी से पहले आपको देखनी चाहिए।

Used Car Buying Tips:
बजट और जरूरत तय करना
Used Car खरीदने से पहले सबसे जरूरी है कि आप अपना बजट तय करें। यह भी सोच लें कि इसमें RTO ट्रांसफर फीस, इंश्योरेंस रिन्यूअल और सर्विसिंग का खर्चा भी जुड़ेगा। इसके अलावा तय करें कि कार कैसी चाहिए – फैमिली के लिए बड़ी SUV या सिर्फ सिटी ड्राइव के लिए छोटी कार। साथ ही माइलेज और फ्यूल टाइप (पेट्रोल, डीजल या CNG) का भी ध्यान रखें। जरूरत और बजट साफ हो तो सही गाड़ी चुनना आसान हो जाता है।
दस्तावेजों की जांच करना
कार के डॉक्यूमेंट्स ध्यान से जांचना बहुत जरूरी है। सबसे पहले RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) चेक करें और देखें कि गाड़ी किसके नाम पर है और कहीं लोन का Hypothecation तो बाकी नहीं। इंश्योरेंस पॉलिसी वैलिड है या नहीं, ये भी जरूर देखें। साथ ही Pollution Certificate और सर्विस रिकॉर्ड अच्छे से देख लें। कोई भी पेंडिंग चालान या रोड टैक्स बकाया न हो, इसकी पुष्टि कर लें।
कार की फिजिकल कंडीशन देखना
गाड़ी की बाहरी और अंदरूनी कंडीशन को गौर से परखें। बॉडी पर डेंट, स्क्रैच या पेंट का फर्क देख लें। टायर की हालत सही होनी चाहिए। लाइट्स, इंडिकेटर्स, एसी, म्यूजिक सिस्टम और विंडो भी चेक कर लें। इंजन स्टार्ट करके सुनें कि कोई अजीब आवाज तो नहीं आ रही। टेस्ट ड्राइव लेकर ब्रेकिंग, सस्पेंशन, स्टियरिंग और गियर शिफ्टिंग को महसूस करें।
ओडोमीटर पर भरोसा न करें
बहुत बार पुराने वाहनों में ओडोमीटर टेम्परिंग की जाती है ताकि किलोमीटर कम दिखे। इसलिए सिर्फ ओडोमीटर के आंकड़ों पर भरोसा न करें। गाड़ी की असली कंडीशन और सर्विस रिकॉर्ड ज्यादा भरोसेमंद होते हैं। अगर किसी पुरानी कार में बहुत कम किलोमीटर दिखाया जा रहा हो, तो शक जरूर करें।
मैकेनिक से निरीक्षण कराएं
Used Car खरीदने से पहले किसी भरोसेमंद मैकेनिक से पूरी जांच करवा लें। इससे आपको गाड़ी की असली हालत पता चल जाएगी। कई बार सर्विस सेंटर पर भी Paid Inspection करवा सकते हैं, जो और ज्यादा सटीक रिपोर्ट देगा।
कीमत पर सही बातचीत करें
ऑनलाइन पोर्टल्स और मार्केट में रिसर्च करके पता करें कि उस मॉडल की सही कीमत क्या चल रही है। गाड़ी की कंडीशन, मॉडल, किलोमीटर और डिमांड के हिसाब से प्राइस नेगोशिएट करें। एक ही मॉडल के 2-3 विकल्प देखने से रेट का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है।
ट्रांसफर और कानूनी प्रक्रिया
सेकंड हैंड कार की RC को अपने नाम पर ट्रांसफर कराना बहुत जरूरी है। इसके बिना आप कानूनी मालिक नहीं बनते। साथ ही इंश्योरेंस भी अपने नाम करवा लें, ताकि किसी भी हादसे में क्लेम करने में दिक्कत न हो।
डीलरशिप या प्राइवेट सेलर का चुनाव
पुरानी कार लेने में अगर आप कम रिस्क चाहते हैं, तो डीलरशिप से खरीदना बेहतर रहता है। यहां पेपरवर्क सही तरीके से होता है और कुछ वारंटी भी मिलती है। हालांकि कीमत थोड़ी ज्यादा होती है। अगर बजट कम है, तो प्राइवेट सेलर से भी खरीद सकते हैं, पर इसमें डॉक्यूमेंट्स और गाड़ी की जांच खुद पूरी सावधानी से करनी होगी। Maruti True Value, Mahindra First Choice और Hyundai H Promise जैसी Certified Used Car डीलरशिप भी आजकल अच्छी विकल्प बन चुकी हैं।
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